हाल ही में जयपुर से जा रही मुंबई की ट्रेन आरपीएफ ने ट्रेन में गोलीबारी कर चार लोगों की हत्या कर दी थी। जिसके बाद वह ट्रेन से कूदकर फरार होने की फिराक में था हालांकि मीरा रोड रेलवे स्टेशन की पुलिस ने अरपीएफ को मौके से पकड़ कर हिरासत में ले लिया था। अब उसी के साथी जो की उद दौरान उसी ट्रेन में मौजूद था जिस वक्त चेतन ने ट्रेन में गोलिया चलाई थी उस दिन की कहानी सुनाई है। दरअसल, आरोपी चेतन मुंबई सेंट्रल अरपीएफ में तैनात था। वह हाथरस का रहने वाला था। वही गोलीबारी में मारे गए ASI टीकाराम दादर अरपीएफ में तैनात थे। साथ ही, वह राजस्थान के सवाई माधोपुर के रहने वाले थे।
जयपुर एक्सप्रेसवे ट्रेन में गोलीबारी कर 4 लोगों की जान लेने वाला आरोपी आरपीएफ चेतन सिंह को गिरफ्तार कर लिया गया था। और फिलहाल उससे पूछताछ की जारी है। इस बीच उसी ट्रेन में मौजूद अन्य आरपीएफ का जवान जिसका कहना है की चेतन ने उसका गला दबाके उसको मरने की कोशिश की थी, इसके अलावा चेतन ने उसी से राइफल छिनकर फायरिंग शुरू कर दी थी।
आरोपी चेतन के खिलाफ एफआईआर में अरपीएफ कॉन्स्टेबल अमय घनश्याम आचार्य के बयांन दर्ज की गई है। घनश्याम ने बताया की मैं हमेशा की तरह अपने साथियों के साथ सौराष्ट्र ट्रेन से मुंबई सेंट्रल जाने के लिए निकला था उस वक्त मेरे पास 20 राउंड वाली एक एआरएम राइफल थी। वही चेतन के पास भी 20 राउंड वाली एआरएम राइफल और एएसआई टीकाराम मीना के पास 10 राउंड वाली एक पिस्तौल थी और हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र परमार के 10 राउंड वाली एक पिस्तौल मौजूद थी।
घनश्याम आचार्य ने बताया की तकरीबन 2:53 बजे हम सबने जयपुर टू मुंबई सुपरफास्ट एक्सप्रेस ट्रेन पकड़कर अपनी यात्रा की शुरुआत की थी टीकाराम और चेतन की सीट ऐसी डिब्बे में थी जबकि मेरी और हेड कॉन्स्टेबल नरेंद्र परमार स्लीपर कोच में थे।
चेतन ने अपनी तबीयत खराब होने की बात कही
घनश्याम आचार्य ने बताया की जब मैं रिपोर्ट सौपने उनके डिब्बे में पहुंचा तो, टिकाराम ने घनश्याम को बताया की चेतन की तबीयत खराब हो गई है, और वह वलसाड स्टेशन में उतारने की जिद्द कर रहा है। जबकि टिकाराम ने चेतन को कहा की ऐसे नहीं उतार सकते बस अब 2-3 घंटे की ड्यूटी रह गई है उसको खत्म कर लो लेकिन तब मुंबई आने तक आराम कर लो लेकिन फिर चेतन मानने के मूड में नहीं थी जिसकी बाद फिर टीकाराम ने पहले इन्स्पेक्टर और फिर कंट्रोल रूम में फोन कर चेतन की बात बताई लेकिन फिर भी कोई फायदा नहीं हुआ और उधर से भी यही जवाब मिला की चेतन को बोलो अपनी ड्यूटी खतम करके दावा ले और मुंबई जाए।
चेतन आया गुस्से में और छीनी राइफल
घनश्याम आचार्य ने बताया की कंट्रोल रूम से आदेश मिलने के बावजूद चेतन रुकने को तैयार नहीं था, जिसके बाद टीकाराम ने मुझे कहा की मैं चेतन से उसकी राइफल ले लो और चेतन आराम कर ले। जिसके बाद वह दूसरी सीट पर जा के सो गया था लेकिन 10,15 बाद फिर जाग गया और अपनी राइफल मांगने लगा तो मैंने उसको राइफल देने से इनकार कर दिया तो उसने मेरा गला दबाके मुझे मरने की कोशिश की और मेरी राइफल छिन ली। हालांकि बाद में मैंने बताया की ये मेरी राइफल है तो उसने बिना किसी डरामे के वापस कर दी, और अपनी राइफल लेली।
आगे आचार्य ने बताया की राइफल लेने के बाद चेतन काफी गुस्से में नजर आ रहा था वही टीकाराम उसको समझाने की कोशिश कर रहे थे लेकिन चेतन हमारी बात सुन ही नहीं रहा था फिर मैं वहा से निकल गया और तब भी चेतन की मिजाज ठीक नहीं लग रहे थे मैंने टीकाराम को सूचित किया की ये कोई गड़बड़ ना कर दे तो टीकाराम ने उसको प्यार और शांत से रहने के लिए कहा लेकिन वह अलग ही मूड में नजर आ रहा था।
आचार्य ने बताया की चेतन को देखते हुए मैं पैन्ट्री कार में चला गया। उसके बाद करीब 5:25 पर मुझे हमारे साथी कॉन्स्टेबल कुलदीप राठोड का फोन आया , फोन पर उन्होंने बताया की हमारे टीम के प्रभारी एएसआई टीकाराम मीना पर गोली से हमला कर दिया गया पहले तो ये बात सुन कर मेरे हवा टाइट हो गई लेकिन फिर तुरंत ही इस घटना की खबर मैंने हवलदार नरेंद्र कुमार को दी।
चेतन ट्रेन में फायरिंग करता आया नजर
घनश्याम आचार्य ने बताया की मैं उस डिब्बे में जा ही रहा था की उसी दौरान सामने से दो-तीन यात्री मेरी तरफ दौड़ते हुए है वह काफी सहमे हुए थे उन्ही यात्रियों ने बताया की हमारे टीम के टीकाराम मीना को हमारे साथी चेतन सिंह ने गोली मारी है जिसके बाद मैंने हवलदार नरेंद्र कुमार को इस बारे में सूचना दी और सुनिक्षित किया की वह सुरक्षित है।
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आगे घनश्याम आचार्य ने बताया की मैंने उस डिब्बे में जाके देखा तो मंजर बेहद ही खौफनाक था चेतनने अपनी राइफल ट्रेन की तरफ कर रखी थी और वह बीच बीच में फायरिंग कर रहा था जिसको देख उस दौरान मैं काफी डर गया था और डर के मारे मैं बाथरूम में छुप गया लेकिन गोलियों की आवाज फिर भी मेरे कान में आ रही थी। फायरिंग कर के चेतन ट्रेन से नीचे कूद गया हालांकि उस दौरान भी उसके हाथ में पिस्टल थी फिर तकरीबन 15 मिनट बाद दुबारा फायरिंग की आवाज सुनाई दी तो मैंने देखा खून से सने हुए 3 शव नजर आए उसके बाद तकरीबन 6:20 पर ट्रेन रुकी लेकिन तब तक काफी देर हो गई थी और वहा से मैं उतर गया था फिर ट्रेन से टीकाराम मीना और अन्य 3 यात्रियों को उतरा गया लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।