मधुमती शुक्ला यूपी के लखीमपुर खीरी की रहने वाली थी उसकी उम्र 24 वर्षीय थी वह एक कवि थी जिसके चलते वह कवि सम्मेलनों में जाया करती थी , वीर रस की कविताओ को सुना करती । हालांकि मधुमती शुक्ला का कवि होने के बावजूद कोई बड़ा नाम नहीं था। उसी दौरान मधुमती की पहचान अमरमणि से हुई थी। बता दें अमरमणि के संपर्क में आते ही मधुमती का कद भी बढ़ने लगा था। कवि सम्मेलन के मंच पर भी मधुमती का नाम आने लगा था, सत्ता और पावर के नजदीक आते ही मधुमती का नाम भी राजनीतिक में गूंजने लगा इसी बीच अमरमणि और मधुमती के बीच प्यार हो गया जिसके चलते दोनों के बीच शारीरिक संबंध भी बन गए। उसी दौरान वह गर्भवती हो गई इसकी बात की जानकारी मिलते ही मधुमती पर बच्चा गिरने का दवाब बनाया गया था।
अमरमणि मधुमती से किनारा करने लगे दरअसल वह रिश्ते को स्वीकर करना चाहते थे, जबकि मधुमती किसी भी कीमत पर अबॉर्शन के लिए राजी नहीं हो रही थी। उसके बात देखते ही देखते सात महीने पूरे हो गए और मधुमती सतवे महीने की प्रेगरांत थी इसके बाद 9 मई 2003 की तारीख आती है, उस दिन महुमती अपने घर पर ही थी तभी दो शूटर्स मधुमती के घर में दाखिल हुए और उस पर तबड़तोड़ फ़ाइरिंग कर दी गई। जिससे मौके पर ही मधुमती की मौत हो गई। पुलिस ने हत्याकांड में शामिल दो लोगों को गिरफ्तार जिसमे से एक का संतोष राय है, दूसरा रोहितमणि त्रिपाठी और पवन पांडे नाम के शख्स सामने आए। इसके अलावा अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधूमणि त्रिपाठी का नाम भी त्रिपाठी के रूप में सामने आया।
मधुमती शुक्ला हत्याकांड में पिछले 20 सालों से जेल में सजा काट रहे हे आरोपी अमरमणि और मधुमणी को कोर्ट के फैसले के बाद मिली राहत । दरअसल मधुमती शुक्ला कि हत्या ने पूरे यूपी की राजनीतिक पार्टीयो की मसिया बने अमरमणि के राजनीतिक रसूख को खत्म कर दिया था, आपको बता दें अमरमणि को 2007 में मधुमती शुक्ला की हत्या का आरोपी घोषित किया गया था, जबकि अमरमणि 2003 के बाद से ही जेल में सजा काट रहा था।
उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में छात्र राजनीति के वर्चस्व की लड़ाई से उपजे अमरमणि त्रिपाठी की राजनीति का सफर एक महिला की हत्या के चलते खत्म हुआ । 9 मई 2003 लखीमपुर खीरी में रहने वाले 24 वर्षीय कवित्री मधुमती शुक्ला की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जिसके बाद से यूपी में हड़कंप मच गया था । दरअसल 9 मई 2003 को लखनऊ के पेपर मिल कॉलोनी में सिथ्त घर में हथियार लिए दो आरोपी घुसे थे, बता दें उन दोनों आरोपियों ने मधुमिता पर गोलियों से वार कर उसकी हत्या कर दी थी । आपको बता दें मधुमती शुक्ला की मौत की खबर पूरे यूपी में गूंज उठी थी। जिसके बाद मुलायम सिंह यादव सरकार ने अपनी शकी निगहे अमरमणि त्रिपाठी पर गई। चूंकि अमरमणि एक मंत्री था उस पर सीधा हाथ डालने की हिम्मत किसी की नहीं हुई। दूसरी तरफ अटल बिहारी वजपाई सरकार की भी नजर इस हत्याकांड के ऊपर थी।
मधुमती शुक्ला के हत्याकांड ने अमरमणि के राजनीति कैरियर पर बड़ा दाग लगा दिया था , इसके अलावा अमरमणि को करीब 20 सालों तक जेल में बंद रहना पड़ा, हालांकि आज कोर्ट के आदेश के बाद अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणी को जेल से मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट में मधुमणी की बहन निधि ने रिहाई करवाने की लिए याचिका दायर की थी, इस मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भेजा। बेरहाल हत्याकांड के मामले में अगली सुनवाई 8 सप्ताह बाद की है । ऐसे में अमरमणि और उनकी रिहाई हो चुकी है।
आपको बता दें की, इस घटना के 2 साल पहले बस्ती के एक कारोबारी का 15 साल के बेटे का अपहरण हुआ था इस मामले में अमरमणि का ही नाम आया था। राहुल नाम के बच्चे को अमरमणि के बंगले पर रखा गया था । इस बात की जानकारी मिलते ही राजनाथ सिंह ने अमरमणि को मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया था। जैसे ही इस बात की खबर भाजपा को मिली तो उसने भी अमरमणि से दूरी बना ली थी। इसके बाद अमरमणि 2002 में बसपा और फिर 2003 में सपा तक पहुचे थे।
मधुमती शुक्ला के हत्याकांड ने अमरमणि के राजनीति कैरियर पर बड़ा दाग लगा दिया था , इसके अलावा अमरमणि को करीब 20 सालों तक जेल में बंद रहना पड़ा, हालांकि आज कोर्ट के आदेश के बाद अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणी को जेल से मिली राहत, सुप्रीम कोर्ट में मधुमणी की बहन निधि ने रिहाई करवाने की लिए याचिका दायर की थी, इस मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस भेजा। बेरहाल हत्याकांड के मामले में अगली सुनवाई 8 सप्ताह बाद की है । ऐसे में अमरमणि और उनकी रिहाई हो चुकी है।